मंगलवार, जुलाई 8


"तुम चाहत जैसी"

वीराने में एक आहट जैसी,
कौन हो तुम चाहत जैसी ,
योवन की कोई हरारत जैसी,
बचपन की कोई शरारत जैसी,
करार छीन लेती हो फिर भी,
लगती दिल को राहत जैसी,
तौबा कर के फिर आता हूँ,
तेरी गली नशे की आदत जैसी,
हमसे पूछो जिंदगी क्या है,
जवानी में आई कयामत जैसी

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