रविवार, जुलाई 27

बदला है लम्हा लम्हा



बदला है लम्हा लम्हा मेरा नाम लोगों ने।
साजिस रची ये मिलके तमाम लोगों ने ।
आँख में पानी कहा पलक पे मोती,
गिरा रुखसार पे, आंसू दिया नाम लोगों ने ।
दर्दे दिल की दवा को मस्ती कहा जाम कहा,
कहके शराब कर दिया बदनाम लोगों ने।
बरस के नालों में गिरा , नाले मिले नदी में
पड़े हज़रत के कदम तो किया सजदा -सलाम लोगो ने ।
शर्म को पानी पानी, बरफ बेशर्मी को कहा ,
शबनम कहा सवेरे,धुंध कहा शाम लोगों ने ।

5 टिप्‍पणियां:

vipinkizindagi ने कहा…

बेहतरीन लिखा है

seema gupta ने कहा…

शर्म को पानी पानी, बरफ बेशर्मी को कहा ,
शबनम कहा सवेरे,धुंध कहा शाम लोगों ने ।

"very beautifully composed with true emotions"

seema gupta ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
* મારી રચના * ने कहा…

sure, aapki ye rachna hai kafi pure...

"अर्श" ने कहा…

दर्दे दिल की दवा को मस्ती कहा जाम कहा,
कहके शराब कर दिया बदनाम लोगों ने।


sonch kafi umdda hai badhai is badhiya rachana ke liye......


"Arsh"