गुरुवार, सितंबर 25

"कुर्बान"

"कुर्बान"

ये दिल तुम पर ये जान तुम पर,
हर खवाहिश मेरी कुर्बान तुम पर,
और बचा ही क्या अब पास मेरे ,
लुटा दी अपनी पहचान तुम पर,
घर की फिक्र क्या अब करे कोई,
आया ये दिल दिल के मेहमान तुम पर,
तमन्ना न रही कोई, चाहत न आरजू ,
खवाहिशे तुम पर लुटे अरमान तुम पर,
गुजर रहा है एक एक लम्हा तुमसे ही,
अब तो लुटे ये जिन्दगी ये ,
"जान भी तुम पर ..."

शुक्रवार, सितंबर 19

"इन्तेहाँ"




इंतज़ार की भी इन्तेहाँ देखिये
और वो आए नही यहाँ देखिये

खड़े हैं जहाँ मुकर्र था मिलना,
इसके सिवा और कहाँ देखिये

एक जुम्बिश से गुजर रहा दिल ,
आँखें कहे के सारा जहाँ देखिये

मज़बूरी है, बेवफाई है या क्या ?
कशमकश बीच जेहनो जबाँ देखिये

आ गए वो ज़मीं पर फिरदौस बनकर ,
खुशरंग रेज़े रेज़े सारा जहाँ देखिये

मंगलवार, सितंबर 16

"फूलों की क्या है कीमत "



फूलों की क्या है कीमत ये उनसे पूछिये ?
जो दिल की तरह देते है जो जान की तरह रखते है
यार ही होते है हमसफ़र हर डगर में दोस्तों
दिल के मंदिर में यार को भगवान की तरह रखते हैं
दुआओं का रखते है दोस्तों पे पहरा बैठा के
दोस्ती को किसी कीमती सामान की तरह रखते है
ये फूल जो जानते है सिर्फ मुस्कराना औरों के लिए
जाने दिल में गम कितने उस इंसान की तरह रखते हैं
जो भेजता है मुझको लम्बी उम्र की दुवाएं दूर से
हम भी उस को अपने दिल में
"मेहमान "की तरह रखते है

शुक्रवार, सितंबर 12

आजा


मस्त नज़र से पिलाने आजा
मुझ को मुझ से मिलाने आजा

तेरे बिन क्या वजूद मेरा ?
आजा मुझ में समाने आजा

खड़ी जो दरमियाँ तेरे मेरे
दीवार हवा की गिराने आजा

जियें अंधेरे भी जी भर के
शमां सब्र की बुझाने आजा

छोड़ दे दुनियादारी एक पल
प्यार की रीत निभाने आजा