रविवार, जून 28

जल नही तो जल रहे हैं



जल नहीं है तो जल रहे है
ये मौसम हमको तल रहे है

तप रही आग सी सारी धरती
आसमान तो जैसे पिघल रहे है

आती है बिजली जाने के लिए
पंखे तो हाथ के ही चल रहे है

कतार मोहल्ला हो गया सारा
नखरे में नुक्कड़ के नल रहे है

आते नहीं क्यूँ मेघदूत बन कर
अब के शायद वो भी टल रहे है


शनिवार, जून 20

मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी


लफ्जों के बियाबाँ में
उमड़ते हुए कारवां में
तन्हाईयों के दरमियाँ में
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
एक दोस्त हमदम की तरह ..........

ना बेवफा जिन्दगी के जैसे
ना रंग बदलते आदमी के जैसे
ना आ के जाने वाली खुशी के जैसे
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
सदा साथ रहते गम की तरह .............

जहाँ तुम रहो वो देश मिले
निरंतर तेरे संदेश मिले
मुझे संग तेरा विशेष मिले
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
खुदा के करम की तरह ..............

तंग करने के सौ तरीके लिए हो
अदब के कितने सलीके लिए हो
हुनर सभी जिंदगी के लिए हो
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
जख्म पर मरहम की तरह .................