रविवार, जून 28
शनिवार, जून 20
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
लफ्जों के बियाबाँ में
उमड़ते हुए कारवां में
तन्हाईयों के दरमियाँ में
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
एक दोस्त हमदम की तरह ..........
ना बेवफा जिन्दगी के जैसे
ना रंग बदलते आदमी के जैसे
ना आ के जाने वाली खुशी के जैसे
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
सदा साथ रहते गम की तरह .............
जहाँ तुम रहो वो देश मिले
निरंतर तेरे संदेश मिले
मुझे संग तेरा विशेष मिले
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
खुदा के करम की तरह ..............
तंग करने के सौ तरीके लिए हो
अदब के कितने सलीके लिए हो
हुनर सभी जिंदगी के लिए हो
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
जख्म पर मरहम की तरह .................
उमड़ते हुए कारवां में
तन्हाईयों के दरमियाँ में
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
एक दोस्त हमदम की तरह ..........
ना बेवफा जिन्दगी के जैसे
ना रंग बदलते आदमी के जैसे
ना आ के जाने वाली खुशी के जैसे
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
सदा साथ रहते गम की तरह .............
जहाँ तुम रहो वो देश मिले
निरंतर तेरे संदेश मिले
मुझे संग तेरा विशेष मिले
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
खुदा के करम की तरह ..............
तंग करने के सौ तरीके लिए हो
अदब के कितने सलीके लिए हो
हुनर सभी जिंदगी के लिए हो
मुझे तुम मिलो ऐ अजनबी
जख्म पर मरहम की तरह .................
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