गुरुवार, अप्रैल 8

जिन्हें प्यार नहीं मालूम




वो जिन्हें अश्कों की खार नहीं मालूम,

जान क्या देंगे जिन्हें प्यार नहीं मालूम


तिजारत का कायदा भला वो क्या जाने,

जिसे फायदा,सूद और उधार नहीं मालूम


खोल कर रखना घर के दरवाजे खिड़कियाँ

कब आजाये भाइयों के बीच दीवार नहीं मालूम


चला रहे है इस देश को चन्द ऐसे महानुभाव

जिनको दो ओर दो होते हैं ,चार नहीं मालूम


बच कर रहना वतन इन पड़ोसियों के प्यार से

कब कर दें हम पर धोखे से वार नहीं मालूम


क्या लुत्फ़ वो उठाएगा उस मिलन की रात में

महबूब से मिलने का जिसे इंतज़ार नहीं मालूम