बुधवार, मार्च 9

तेरे अल्फाज़ जो मेरी जुबाँ हो जाएँ


तेरे अल्फाज़ जो मेरी जुबाँ हो जाये
मै जी लूं ओर तू मेरी जाँ हो जाये /-


हो ऐसे मेरा तेरा एक दूजे से वास्ता,
मुझ से तेरी तुझ से मेरी पहचाँ हो जाये /-


दरिया-ए-दर्द हो जाये समंदर शकूं का
बेचैन उमंगें दिल की, उफनते तूफाँ हो जाये /-


कोई ग़ैर न आ पाए तेरे मेरे बीच में,
खुदगर्जगी हमारी वादा-ओ-पैमाँ हो जाये /-


वाबस्तगी दो दिलों की वाजिब है कुछ करेगी ,
या शदाइत शहीद होंगी या हम फना हो जाये /-


खामोशियाँ जब जब जमीन पर टूटी हैं 'अभिन्न'
मुमकिन है इंकलाबी आबो हवा यहाँ हो जाये /-

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