मंगलवार, नवंबर 27

तेरा आना इतिफाक नहीं

मेरे जीवन में तेरा आना ,
अचानक कोई इतिफाक तो नहीं,
ना ही संयोग कोई,
तुम सितारों के जंगल में भटके हिरण तो नहीं
या फिर ओस में नहाये सूरज की किरण तो नहीं
क्या प्रयोजन है इस मिलन का
क्या उद्देश्य है?
मैं तो स्वयं में व्यस्त
बीता रहा था अपना जीवन
फिर क्यों मेरे काव्य सृजन में आये तुम
विराम बन कर।
क्या तुम मेरे लेखन का विषय बनोगे
आओ मैं तुम्हे निहार लूं,
और ..अपनी कलम में उतार लूं,
क्योकि मेरे जीवन में तेरा आना इतिफाक नहीं



 

गुरुवार, अगस्त 9

मुहब्बत मर गई शायद

उसके सीने में अब दिल बुझे चिराग सा रह गया-/
मुहब्बत मर गई  शायद ,एक  दाग सा  रह गया-/
वो हँसता भी  है तो   कुछ टूट  के  बिखरने  जैसा,
सूख गया  वो दरिया जो दीखता झाग सा रह गया -/
     
    

                      

गुरुवार, मई 24

गहरे हो जाएँ रिश्ते



दोस्ती की जब भी कभी बात हुआ करेगी /-
हमारा भी  जिक्र दुनिया कहा सुना करेगी /-

मिलते रहे कदम कदम एक दूजे से हौसले
 घोंसलों से निकले तो  बुलंदियाँ छुआ करेंगी /-

कयामत से कम नहीं अब  जुदाई का ख्याल
हकीकत ये लम्हा लम्हा मुझको डसा करेगी /-

ग्यारह रहे हमेशा हम एक और एक होकर, 
क्या अब भी दोस्ती को ऐसी दुआ रहेगी /

तब्दिले जश्न करते गए मुश्किलों को हम 
रस्मे जश्न कैसे अब यंहा मना  करेगी /

गहरे हो जाएँ रिश्ते दिल के जब अभिन्न 
दूरियाँ  क्या खाक फिर उनको जुदा करेंगी